Non Resident Bihari
क्या होता है जब बिहार में किसी भी थोड़े सम्पन्न परिवार में बच्चे का जन्म
होता है? उसके जन्मते ही उसके बिहार छूटने का दिन क्यों तय हो जाता है? जब
सभी जानते हैं कि मूंछ की रेख उभरने से पहले उसको अनजान लोगों के बीच चले
जाना है— तब भी क्यों उसको गोलू-मोलू-दुलारा बना के पाला जाता है? वही
‘दुलारा बच्चा’ जब आख़िरकार ट्रेन में बिठाकर बिहार से बाहर भेज दिया जाता
है तब क्या होता है उसके साथ? सांस्कृतिक धक्के अलग लगते हैं, भावनात्मक
अभाव का झटका अलग— इनसे कैसे उबरता है वह? क्यों तब उसको किसी दोस्त में
माशूका और माशूका में सारे जहाँ का सुकून मिलने लगता है?...